Monday, 8 December 2014

कुछ मनसे...

अजब है यह दुनिया
सितम से भरी
न जाने कितनी
राहों पर मौत है बिछी
फिर भी मुस्कुराते
हमें चलना हैं
इनी राहों पे जीना है।

प्रिया सातपुते


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