Monday, 16 March 2015

शायरी

हम लबोसे कह ना पाये
वह नज़र से पढ़ ना पाये
इसी कश्मकश में चल पढ़े तो
रास्ते हमराही हो गए।

प्रिया सातपुते

No comments:

Post a Comment